मायावती के जख्मों को कुरेदने का काम कर रहे हैं महेन्द्रनाथ ?

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यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ सिंह ने बसपा सुप्रीमो पर बड़ा हमला बोला है। महेंद्र नाथ पांडे ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए  सपा और बसपा के बीच गठबंधन और अब मीडिया के सामने जो याराना नजर आ रहा है उस पर हमला बोला है। 

मायावती की शॉल पर कसा तंज

दरअसल, जन्मदिन के मौके पर अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमो को शॉल ओढ़ा कर सम्मान  किया था। इस मामले में  चंदौली में एक सभा को संबोधित करते हुए महेंद्र नाथ पांडे ने कहा, ‘मैंने सोशल मीडिया पर देखा एक नौजवान ने पोस्ट कर दिया श्री अखिलेशजी मायाजी को शॉल पहना रहे हैं। तो नौजवान लिखता है ऐसे कि अखिलेश से पूछें कि यह वही शॉल है जिसे गेस्ट हाउस में पिताजी ने उतारा था?

तो वह भी नटखट सबको उत्तर दे रहे हैं। हट नॉटी कहीं का।’ बता दें कि महेंद्र नाथ पांडे चंदौली सीट से ही लोकसभा सांसद हैं।इससे पहले 12 जनवरी को एसपी-बीएसपी की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा था, ‘देशहित के लिए हमने 1995 के गेस्ट हाउस कांड को भुला दिया। हमारे लिए जनहित लखनऊ गेस्ट हाउस कांड से ऊपर है।’

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मायावती ने एसपी-बीएसपी के 38-38 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया था। इसके अलावा दो सीट अन्य दलों के लिए और अमेठी-रायबरेली सीट को बिना गठबंधन किए कांग्रेस के लिए छोड़ा था।

साल 1992 में मुलायम सिंह यादव ने जनता दल से अलग हो कर समाजवादी पार्टी बनाई थी। पार्टी बनाने के बाद बीजेपी का रास्ता रोकने के लिए मुलायम ने 1993 में बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाया और सरकार बनाई। हालांकि मायावती इस सरकार में शामिल नहीं हुई थीं। लेकिन, 2 जून 1995 को बीएसपी ने मुलायम सरकार से किनारा करते हुए समर्थन वापसी की घोषणा कर दी, जिससे दोनों दलों का गठबंधन टूट गया। मायावती के समर्थन वापसी के ऐलान के बाद मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई।

गठबंधन तोड़ने पर चर्चा कर रही थीं

बीएसपी प्रमुख कांशीराम के कहने पर पार्टी की प्रमुख नेता मायावती ने 2 जून 1995 को बीएसपी विधायकों की बैठक बुलाई। लखनऊ के गेस्ट हाउस में मायावती अपने विधायकों के साथ गठबंधन तोड़ने पर चर्चा कर रही थीं। शाम का समय था, करीब 200 की संख्या में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और विधायकों ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया।

एसपी कार्यकर्ताओं ने बीएसपी के विधायकों के साथ मारपीट शुरू कर दी। वहां मौजूद कार्यकर्ताओं के कहने पर मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर दिया। कुछ देर में भीड़ मायावती के कमरे तक पहुंच गई और दरवाजा तोड़ने की कोशिश करने लगी।

इस दौरान एसपी कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से मायावती को गालियां दीं और जातिसूचक शब्द भी बोले। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर इस दौरान मायावती के साथ बदसलूकी का भी आरोप लगा था। इसके कुछ देर बाद एसपी और डीएम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और मायावती की जान बचाई।

मायावती को बचाने वाले अधिकारियों में विजय भूषण, सुभाष सिंह बघेल और तत्कालीन एसपी राजीव रंजन का जिक्र किया जाता है। दावा किया जाता है कि बीजेपी के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी और लालजी टंडन ने भी मायावती को बचाने में भूमिका निभाई थी। गेस्ट हाउस कांड के समय लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी और वर्तमान डीजीपी ओपी सिंह को कांड के दो दिन बाद ही निलंबित कर दिया गया था।

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